AHSEC| CLASS 12| HINDI (MIL)| SOLVED PAPER - 2017| H.S. 2ND YEAR

 

AHSEC| CLASS 12| HINDI (MIL)| SOLVED PAPER - 2017| H.S. 2ND YEAR

2017
HINDI
(MIL)
(MODERN INDIAN LANGUAGE)
Full Marks: 100
Pass Marks: 30
Time: Three hours
The figures in the margin indicate full marks for the questions.

 

1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,

दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के ।।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,

आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की।

'बरस बाद सुधि लीन्ही'-

बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की।

प्रश्न: (क) 'पाहून' का अर्थ क्या है और यहाँ किसे कहा गया है? 1

उत्तरः पाहुन का अर्थ है मेहमान और यहाँ बारिस को कहा गया है।

(ख) मेघ किस रूप में और कहा आए हैं? 1

उत्तरः मेघ बड़े बन-ठन के गाँव में आए हैं।

(ग) मेघों के आने पर गाँव में क्या परिवर्तन आए हैं? 1

उत्तरः मेघों के आने पर गाँव के पेड़ गरदन हिलाके नाच रहे हैं और धूल भाग रहे है।

(घ) बूढ़े पीपल ने क्या किया? 1

उत्तरः बूढ़े पीपल नटमस्तक होकर बारिस का स्वागत कर रहे हैं।

(ङ) लता ने क्या शिकायत की है? 1

उत्तरः लता ने शिकायत की है की इतने बरस बाद क्यों आए बरस होने के आशय से कहा।

2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

स्वावलंबन का गुण सभी को सरलता से प्राप्त हो सकता है। यह किसी एक विशेष जाति, विशेष धर्म तथा विशेष देश के निवासी की सम्पत्ति नहीं है। स्वावलंबन सभी के लिए चाहे वह पूँजीपति हो या मजदूर, पुरुष हो या स्त्री, वृद्ध हो या बालक, काला हो या गोरा, शिक्षित हो या अशिक्षित प्रत्येक समय, प्रत्येक स्थान पर सुलभ है। इतिहास साक्षी है कि अत्यंत दीन तथा निर्धन व्यक्तियों ने स्वावलंबन अलौकिक गुण द्वारा महान उन्नति की है। समाचार पत्र बेचनेवाला एडिसन एक दिन महान उपन्यासकार हुआ। चन्द्रगुप्त जैसा एक निर्धन और साधारण सैनिक भारत का चक्रवर्ती सम्राट हुआ। हैदर अली प्रारंभ में एक सिपाही था। स्वावलंबन के कारण ही उसने दक्षिण भारत में अपना राज्य स्थापित किया। ईश्वरचंद्र विद्यासागर हमारे भारत के ख्याति प्राप्त रत्र हैं। कहा जाता है कि उन्होंने अंग्रेजी अक्षर का ज्ञान सड़क के किनारे गड़े हुए मील के पत्थरों से किया था।

प्रश्न: (क) किस गुण को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है और क्यों? 2

उत्तरः स्वावलंबन की गुण को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि यह किसी एक विशेष जाति, धर्म, देश के निवासी का सम्पत्ति नहीं वल्कि अलौकिक गुण है जो सभी मे से पा सकते है।

(ख) स्वावलंबन का गुण किन-किन के लिए सुलभ है? 2

उत्तरः स्वावलंबन सभी के लिए चाहे बह पूँजीपति हो या मजदूर, पुरुष हो या स्त्री, वृद्ध हो या बालक, काला हो या गोरा, शिक्षित हो या अशिक्षित सभा के लिए सुलभ हैं।

(ग) इतिहास किस बात का साक्षी है? 2

उत्तरः इतिहास साक्षी है कि अत्यंत दीन तथा निर्धन व्यक्तियों ने स्वावलंबन अलौकिक गुण द्वारा महान उन्नति की है।

(घ) ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने अंग्रेजी अक्षर का ज्ञान कैसे प्राप्त किया? 2

उत्तरः ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने अंग्रेजी अक्षर का ज्ञान सड़क के किनारे गड़े हुए मील के पत्थरों से प्राप्त किया था।

(ङ) 'स्वावलंबन' का अर्थ क्या है? 1

उत्तरः 'स्वावलंबन' का अर्थ है- 'स्वाश्रय'

(च) इन पंक्तियों में उल्लेखित महान व्यक्तियों का नामोल्लेख कीजिए। 2

उत्तरः इन पंक्तियों में विश्व के महान व्यक्तियों का नामोल्लेख है जैसे एडिसन, चन्द्रगुप्त, हैदर अली, और ईश्वरचंन्द्र विद्यासागर आदि।

(छ) विद्यासागर को भार का रत्न क्यों कहा गया है? 2

उत्तरः स्वाबलंबन के कारण ही विद्यासागर ने सड़क के किनारे गड़े हुए मील के पत्थरों से अंग्रेजी अक्षर का ज्ञान प्राप्त किया था उन्हे हमारे भारत के ख्याति प्राप्त रत्न कहा गया है।

(ज) 'स्वाबलंबन' तथा 'अलौकिक' शब्द की व्युत्पत्ति कैसे हुई? 1

उत्तरः स्वश्रय को अलोकिक गुण कहा गया है। लोकिक के परे से स्वावलंबन की जन्म होती है उक्त वाक्य में यही कहा गया है।

(झ) गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए। 1

उत्तरः गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक है - 'स्वावलंबन'।

3. निम्नलिखित में से किसी एक पर निबन्ध लिखिए: 10

(क) भ्रष्टाचार (परिभाषा कारण प्रकार निवारण के उपाय - उपसंहार)

उत्तरः परिभाषा: 'भ्रष्टाचार' सदाचार के सबर्था विपरीत है। शुभ, पवित्र, सामाजिक, धार्मिक नियमों अथवा नैतिक मानदंडों के प्रतिकूल आचरण, भ्रष्टाचार, की श्रेणी में आता है। सामान्य रुप से भ्रष्टाचार, का अभिप्राय रिश्वत, घूस, भाई-भतीजावाद आदि माना जा सकता है। वास्तव में किसी भी स्तर पर, किसी भी क्षेत्र में, किसी भी प्रकार की वेईमानी, भ्रष्टाचार है। वर्तमान में भ्रष्टाचार ने एक असाध्य समस्या का रुप धारण कर लिया है।

भ्रष्टाचार के कारण: भ्रष्टाचार के अनेक कारण है। मनोबैज्ञानिक दृष्टि से कहा जा सकता है, कि मानव मन की इच्छाओं का विस्तार तथा सुविधाभोगी प्रवृत्तियाँ ही इसका मुल कारण हैं। वैज्ञानिक और भौतिक स्तर पर कहा जा सकता है, कि अधिकाधिक भौतिक सुख - सुविधाओं को जुटाने की इच्छा ने मानव की चेतना को भीतर तक भ्रष्ट कर दिया है। तृष्णाओं का विस्तार जब उपलब्ध साधनों से पूर्ण नहीं हो पाते तो मनुष्य भ्रष्ट तरीके अपनाते है। विलासिता, सामाजिक वैमनष्य, दुराचार आदि बुराइयाँ भी प्रकारांतर से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।

प्रकार: भ्रष्टाचार के कई प्रकार के रुप देखने में मिलते हैं। किसी अवांछनीय, दूषित और असंगत कार्य को किसी न किसी स्वार्थ। सिद्धधि के आवरण में ढककर, बुरा न मानने वाला औचित्यपूर्ण नाम देना मानव का स्वभाव है। इसी प्रकार भ्रष्टाचार के विविध रुप विविध नामों से जाने जाते है। जैसे-दस्तुरी, भेंट-पूजा, चढ़ावा, रिश्वत, घूस, सिफारिश, सुविधा व्यय, मुँह मीठा कराना, खुश कराना, भाई-भतीजावाद, काइल पर वजन रखना, पहिए लगाना आदि ।

निवारण के उपाय: सरकार को शासन-प्रशासन को चुस्त-दुरस्त करने के लिए कठोर और स्पष्ट नीतियाँ अपनानी चाहिए।

(ख) भारतीय नारी (भूमिका - शिक्षा की आवश्यकता - विविध नारी-प्रमुख समस्याएँ - समाधान - उपसंहार)

उत्तरः भूमिका: यह विधाता की अदभूत रचना है, कि नर और नारी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एक के भी अभाव में सृष्टि की कल्पना नहीं की जा सकती। नारी कोमलता, पवित्रता, मधुरता आदि दिव्य गुणों की प्रतिमुर्ति है, धैर्य, संयम तथा सहनशीलता का प्रतीक हैं।

शिक्षा की आवस्यकता: किसी भी देश की सभ्यता, संस्कृति एंव उन्नति का मूल्यांकन वहाँ के नारी वर्ग की स्थिति को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। जो राष्ट्र स्त्री को केवल भोजन पकाने एंव बच्चे पैदा करने का साधन समझते हैं, वे दुर्भाग्य से अभी सभ्यता, संस्कृति या शिष्टता की दौड़ में बहुत पीछे हैं। स्त्री को अपने पेरों पर खड़े होने और शोसन से बचने के तरीके शिक्षा से ही मिलेगी। साथ ही कम आयु में शादी न करके स्वस्थ और मन दोनों को खुशहाल रखने का मूलमंत्र शिक्षा से ही मिलती हैं।

विविध नारी - प्राचीन युग में स्त्रीयाँ पुरुषों के साथ प्रत्येक सामाजिक एंव धार्मिक कार्यों में समान रूप से भाग लेने की अधिकारिणी थी। इस युग में नारी का सम्मान था। द्रवापर युग में बंधनों में बाँधने लगी। मध्यकाल में गुलाम और भोग्या बनकर रह गयी। लेकिन आज की भारतीय नारी कंधे से कंधा मिलाकर अपने पिता और पति का हाथ बताते है। समय के साथ लोगों का विचार भी बदल रहा है।

प्रमुख समस्याएँ: सह धर्मिणी के स्थान पर आज भी कई स्त्रीया वासना पूर्ति का साधन मात्र बन के रह गयी है। कई नारीयाँ घरेलू हिंसा के भी स्वीकार होती है।

उपसंहार - आधुनिक काल में नारी ने हर क्षेत्र में विकास किया है। भारतीय संविधान में भी नर नारी के समान अधिकार दिए गए। शिक्षित महिला वर्ग ने स्वंय पदों का त्याग किया। आज 21 वीं सदी में नारी, पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर समाज के निर्माण में जुटी हुई है। संघर्षों में शक्ति रूपा बनकर पुरुष को सहयोग दे रही है और उसकी प्रेरक शक्ति बनी हुई है। नारी नर की सबसे बड़ी शक्ति है। नारी हीं समाज की संचालिका है। आज भारतीय नारी पुलिस, भारतीय सेना, अतंरिक्ष तक पहुच गयी है। नारी का सम्मान करना चाहिए।

(ग) पर्यटन (भूमिका - आवश्यकता - महत्व - उपयोगिता - उपसंहार)

उत्तर: पर्यटन एक ऐसी यात्रा है जो मनोरंजन या फुरसत के क्षणों का आनंद उठाने के उद्देश्यों से की जाती है। विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार पर्यटक वे लोग है जो यात्रा करके अपने सामान्य बातावरण से बाहर के स्थानों में रहने जाते है, यह दौरा ज्यादा से ज्यादा एक साल के लिए मनोरंजन, व्यापार, अन्य उद्देश्यों से किया जाता हैं। पर्यटन दुनिया भर में एक आरामपूर्ण गतिविधि के रूप में लोकप्रिय हो गया है। २००३ में, १०३ मिलियन से अधिक अंतराष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन के साथ, २००६ की तुलना में ६.६% की बूदधि दर्ज की गई । २००७ में अंतराष्ट्रीय पर्यटक प्राप्तियाँ ९५६ अरबथी। विश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं के बावजूद, २००९ के पहले चार महिनों में अणमन में ५% की वृदधि हुई, यह २००७ में समान अवधि में हुई वृदधि के लगभग समान थी। कई देशो जैसे इजिप्ट, थाईलैंड और कई द्वीप राष्टों जैसे फिजी के लिए पर्यटन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अपने माल सेवाओं के व्यापार से ये देश बहुत अधिक मात्रा में धन  प्राप्त करते है और सेवा उद्योग में रोजगार के अवसर पर्यटन से जुड़े है। इन सेवा उद्योगों में परिवहन सेवाएँ जैसे क्रूज पोंत और टौक्सियाँ, निवास स्थान जैसे होटल और मनोरंजन स्थल, और अन्य अतिथ्य उद्योग सेवाएँ जैसे रिजोर्ट शामिल हैं।

महत्व: भारतीय प्राच्य ग्रंथों में स्पष्ट रुप से मानव के विकास, सुख और शांति की संतुष्टि व ज्ञान के लिए पर्यटन को अति आवश्यक माना गया है।

हमारे देश के ऋषि मुनियों ने भी पर्यटन को प्रथम महत्व दिया है। प्राचीन गुरुओं ने भी - यह कहकर कि बिना पर्यटन मानव अन्धकार प्रेमी होकर रह जायेगा। पाश्चात्य विदवान संत आगस्टिन ने तो यहाँ तक कह दिया कि "बिना विश्व दर्शन जान ही अधुरा है।"

सन १९४९ में पर्यटन को इस प्रकार से परिभाषित किया "पर्यटन और निवासियों की यात्रा और उनके ठहरने से उत्पन्न सम्बन्ध और प्रक्रियाओ का योग है। ये लोग यहा स्थायी रुप से निवास नही करते है।

(घ) आदर्श नागरिक (तात्पर्य - नागरिक का अधिकार - कर्तव्य -महत्व - उपसंहार)

उत्तर:

आदर्श नागरिक

नागरिक शब्द का अर्थ: वह नागरिक जो अपने राष्ट्र के प्रति निष्ठाबान रहकर अपने सभी अधिकारों और कर्तव्यों के साथ-साथ, देश के सभी कानुनों नियमों का पालन करता है, तथा देश की रक्षा करने में सदैव तत्पर रहता है, आदर्श नागरिक कहलाता है। दैश के अन्य नागरिकों के समक्ष वह अनुकारणीय होता है।

देश का अभिन्न अंग: विश्य के किसी भी कोने में रहने वाला व्यक्ति किसी न किसी देश का नागरिक होता है। हम सव भारत के नागरिक है। नागरिक देश का अभिन्न अंग होता है। नागरिक वह व्यक्ति कहलाता है, जो किसी देश का सदस्य हो और नागरिक व राजनीतिक अधिकारों का अपभोग करता हो, राज्य के प्रति निष्ठा वान रहकर देश के. शासन में भाग लेता हो।

नियम कानुनों का पालन करना: एक आदर्श नागरिक को देश के सभी कानुनों का पालन कर नागरिको के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। जो व्यक्ति कानुन का अल्लधंन करना है, या समाज विरोधी है, वह अच्छा नागरिक नहीं बन सकता। एक आदर्श नागरिक बनने के लिए आवश्यक है, कि वह अनुशसित हो वै असे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए। अपनी भावनाओं पर अंकुश रखकर संपेधानिक तरीके से अपना विरोध दर्च कराना चाहिए। कुरीतियों और सार्वजानिक मुद्दों से परिचित होना चाहिए। आदर्श नागरिक वही होता है, जिसमे संविधान के प्रार्त निष्ठा हो । आदर्श नागरिक में राष्ट्र हवज, राष्ट्रगीत और अन्य राष्ट्रीय महत्व की वस्तुओं के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए। एक अच्छा नागरिक देशभक्त होता है। वह सुशिक्षित होता है, कयोंकि शिक्षा से ही असे अचित अनुचित का अंतर पता चलता हैं। अधिकारः एक आदर्श नागरिक को संविधान मे अल्लेखित सभी मोलिक अधिकारो के अपयोग का अधिकार है। वह स्वतन्त्र होकर अपने विचार या मत को रख सकते है।

कर्तव्य: एक आदर्श नागरिक वह होता है, जो अपने कर्तव्यों का पालन करे। जो समय पर आयकर, बिक्रीकर, वैट, सेवाकर तथा संपत्ति कर आदि का भुगतान करता है। कर के रूप में प्राप्त धन से ही सरकार नागरिकों के लिए कल्याणकारी कार्यों जैसे अस्पतालों, शिक्षण-संस्थाओं आवास, सड़कों और परिवहन व्यवस्था आदि जुटाती है।

4. अपने क्षेत्र की कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर किसी स्थानीय पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए। 5

उत्तरः स्मिता शमी

गणेशपारा

गुवाहाटी, असाम

सेवा में,

मुख्य सम्पादक, प्रतिदिन चानमारि

विषय: नगर में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति हेतु।

महोदय,

असम के लोकप्रिय समाचार पत्र 'प्रतिदिन' के माध्यम से गुवाहाटी शहर की बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था की ओर राज्य के पुलिस अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। आप इस पत्र को प्रकाशित करने की कृपा करें। आजकल गुवाहाटी शहर अपराध, चोरी डकैती, बलात्कार, बाल-विवाह की घटनाओ का केन्द्र बनता जा रहा है। शहर की प्रगति के साथ-साथ अपराधीयों की सारण-स्थाली बन गया है। किसी भी मुहल्ले में से हर रोज चोरी और डकैती की घटना सुन ने को मिलती है। सड़क पर चलते महिलाओं के चेन छीन लिए जाते है। शहर के बीचों किसी को गोली मार के मार दिया जाता है। इतनी घटनाओं के बाद भी कोई अपराधी गिरफ्तार नहीं किया जा सका। राज्य के पुलिस तथा प्रशासन के अधिकारियों से निवेदन है कि कुछ सस्त कार्यवाही करे तथा अपराधियों को शीघ्र ही गिरफ्तार करें ताकि जनता का विश्वास कायम रह सके। आम जनता चैन से अपना जीवन यापन कर सके । सधन्यवाद।

भवदीय

स्मिता, शमी

अथवा

बीमारी के कारण अपनी कक्षा में दो दिनों की अनुपस्थिति की सूचना देकर अपने महाविद्यालय / विद्यालय के अध्यक्ष के नाम एक पत्र लिखिए।

उत्तरः सेवा में,

प्रधानाचार्य महोदय,

रोएल ग्लोबेल स्कूल

गुवाहाटी, असम

महोदय,

"सविनय निवेदन है कि? अप्रेल २०१७ ई से मेरी तबीयत थीक न होने के कारण कक्षा में उपस्थित नही हो पा रही हूँ। अतः सादर प्रार्थना है कि आप मुझे दौ दिन का अवकाश प्रदान करें। ये हो दिन मैं कक्षा में अनुपस्थित रहुँगी। अध्यक्ष महोदय से मेरी यही विनती है।

आपका आज्ञाकारी छात्रा

सीमा जैन

कक्षा - आठवीं

दिनांक: १ अप्रैल २०१७

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 1×5=5



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