Ahsec Class 12 Hindi (MIL) Solved Question Paper - 2025| ASSEB BOARD

 

Ahsec Class 12 Hindi (MIL) Solved Question Paper - 2025| ASSEB BOARD

2025
HINDI
(MODERN INDIAN LANGUAGE)
Full Marks: 100
Pass Marks: 30
Time: Three hours
The figures in the margin indicate full marks for the questions.

 

1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 5

जो बीत गई सो बीत गई।

जीवन में एक सितारा था,

माना, वह बेहद प्यारा था.

वह डूब गया, तो डूब गया,

अंबर के आनन को देखो,

कितने उसके तारे टूटे,

कितने इसके प्यारे छूटे,

जो छूट गए फिर कहाँ मिले;

पर बोलो टूटे तारों पर

कब अंबर शोक मनाता है।

प्रश्न:

(क) "जीवन में एक सितारा था'' – यहाँ 'सितारा' शब्द से क्या 'आशय है? 1

उत्तर:- "जीवन में एक सितारा था" में 'सितारा' से आशय जीवन की कोई अत्यन्त प्रिय वस्तु, व्यक्ति, सुखद क्षण या सपना है जो अब खो चुका है।​

(ख) प्रस्तुत काव्यांश के द्वारा कवि ने क्या परामर्श दिया है? 1

उत्तर:- इस काव्यांश के द्वारा कवि यह परामर्श देता है कि जो बीत चुका है या जो खो गया है, उस पर शोक न करके उसे भूलकर वर्तमान को स्वीकारते हुए जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।​

(ग) अंबर को क्या सहन करना पड़ता है? 1

(घ) कवि के अनुसार अंबर टूटे तारों पर शोक मनाता है या नहीं? 1

(ङ) कवि ने अंबर का उदाहरण क्यों दिया है? 1

2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 15

भारतीय संविधान निर्माताओं में से एक डॉ. भीमराव अंबेडकर आधुनिक भारतीय चिंतन में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान के अधिकारी हैं। उन्होंने जीवनभर दलितों की मुक्ति एवं सामाजिक समता के लिए संघर्ष किया। उनका पूरा लेखन इसी संघर्ष और सरोकार से जुड़ा हुआ है। स्वयं दलित जाति में जन्मे डॉ. अंबेडकर को बचपन से ही जाति - आधारित उत्पीड़न - शोषण एवं अपमान से गुजरना पड़ा था। इसलिए विद्यालय के दिनों में जब एक अध्यापक ने उनसे पूछा कि " तुम पढ़-लिखकर क्या बनोगे ?" तो बालक भीमराव ने जवाब दिया था- मैं पढ़-लिखकर वकील बनूँगा, अछूतों के लिए नया कानून बनाऊँगा और छुआछूत को खतम करूँगा। डॉ. अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन इसी संकल्प के पीछे झोक दिया । इसके लिए उन्होंने जमकर पढ़ाई की। व्यापक अध्ययन एवं चिंतन-मनन के बलपर उन्होंने हिन्दुस्तान के स्वाधीनता संग्राम में एक नयी अंतर्वस्तु भरने का काम किया, वह यह था कि दासता का सबसे व्यापकं व गहन रूप सामाजिक दासता है और इसके उन्मूलन के बिना कोई भी स्वतन्त्रता कुछ लोगों का विशेषाधिकार रहेगी, इसलिए अधूरी होगी।

प्रश्न:

(क) आधुनिक भारतीय चिंतन में भीमराव अंबेडकर का स्थान महत्वपूर्ण क्यों है? 2

उत्तर:- डॉ. भीमराव अंबेडकर का स्थान आधुनिक भारतीय चिंतन में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वे भारतीय संविधान निर्माताओं में अग्रणी थे और उन्होंने न्याय, समानता तथा स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर आधारित आधुनिक भारत की वैचारिक नींव रखी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राजनीतिक स्वतंत्रता तब तक पूर्ण नहीं हो सकती जब तक जाति-आधारित सामाजिक दासता समाप्त न हो जाए, इसलिए उन्होंने सामाजिक न्याय और सामाजिक समता को आधुनिक भारतीय चिंतन के केंद्र में स्थापित किया।​

(ख) डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जीवन भर किसकी मुक्ति के लिए संघर्ष किया? 2

उत्तर:- डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जीवन भर दलितों और अन्य उत्पीड़ित/अछूत माने जाने वाले वर्गों की मुक्ति के लिए संघर्ष किया। उनका पूरा सामाजिक, राजनीतिक और वैचारिक कार्य जाति-आधारित शोषण, उत्पीड़न और भेदभाव को समाप्त कर एक समतामूलक समाज स्थापित करने के उद्देश्य से जुड़ा रहा।​

(ग) उपर्युक्त गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए। 1

(घ) अध्यापक द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में बालक भीमराव ने क्या कहा? 2

(ङ) अपने संकल्प को पूरा करने के लिए भीमराव ने क्या किया था? 2

(च) डॉ. अंबेडकर के अनुसार किसके बिना स्वतन्त्रता अधूरी होगी? 2

(छ) निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए: 2

गुजरना; जमकर; संकल्प; दलित

उत्तर:- गुजरना: समय व्यतीत करना, होना, कटना, बीतना या किसी स्थान से होकर आना या जाना। उदाहरण के लिए, रात गुज़रना या किसी रास्ते से गुज़रना।

जमकर: पूरी ताकत या पूरी मेहनत से। जैसे जमकर पढ़ना मतलब पूरी मेहनत से पढ़ना।

संकल्प: यह एक मजबूत निश्चय या प्रण होता है, जो व्यक्ति अपने मन में कर लेता है।

दलित: समाज के उन वर्गों को कहते हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं, जिन्हें पहले अस्पृश्य कहा जाता था।

(ज) विपरीतार्थक शब्द लिखिए: 2

मुक्ति; संघर्ष, अपमान; जवाब

3. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए: 10

(क) प्रदूषण

(प्रस्तावना - प्रदूषण के प्रकार और कारण - हानि- प्रदूषण नियंत्रण - उपसंहार)

उत्तर:- प्रदूषण प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी है, जिससे हवा, पानी, मिट्टी और ध्वनि दूषित होती है। प्रदूषण के मुख्य प्रकार हैं: वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और रेडियोधर्मी प्रदूषण। इसके कारणों में कारखाने, वाहन, औद्योगीकरण, रासायनिक पदार्थों का उपयोग, घरेलू कचरा और प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन शामिल हैं।

प्रदूषण के प्रकार और कारण:-

(i) वायु प्रदूषण: वाहनों से निकलने वाले धुएं, कारखानों की गैसों, जीवाश्म ईंधन जलाने और प्लास्टिक जलाने से होता है। इससे सांस की बीमारियाँ और जलवायु परिवर्तन होता है।

(ii) जल प्रदूषण: रसायन, औद्योगिक कचरा और घरेलू कचरा नदियों, झीलों और महासागरों को प्रदूषित करते हैं, जिससे जलीय जीवन प्रभावित होता है।

(iii) मृदा प्रदूषण: कृषि में रासायनिक उर्वरक, औद्योगिक कचरा और प्लास्टिक मिट्टी की उर्वरता को कम करते हैं।

(iv) ध्वनि प्रदूषण: औद्योगिक मशीनों, वाहनों के शोर, लाउडस्पीकर आदि के कारण होता है, जिससे मानसिक तनाव और सुनने की समस्याएँ होती हैं।

प्रदूषण का प्रभाव (हानि):-

प्रदूषण का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, जैसे सांस की बीमारियाँ, कैंसर, मानसिक तनाव और फसलों की गुणवत्ता में कमी। पर्यावरणीय असंतुलन से जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा और अत्यधिक तापमान वृद्धि जैसी प्राकृतिक आपदाएँ होती हैं। प्रदूषण जानवरों और पौधों की जीवनशैली को भी प्रभावित करता है।

प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय:-

(i) औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नियम लागू करना और उन्हें लागू करवाना।

(ii) हवा को शुद्ध करने के लिए पेड़ लगाना और हरियाली बढ़ाना।

(iii) औद्योगिक कचरे का उचित निपटान और जल स्रोतों की सफाई।

(iv) सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देना और वाहनों से निकलने वाले धुएं को नियंत्रित करना।

(v) प्रदूषण कम करने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना।

उपसंहार:

प्रदूषण मानव जीवन के लिए एक गंभीर खतरा है, लेकिन सही प्रयासों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। संतुलित विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जिम्मेदारी के माध्यम से हम एक स्वच्छ और स्वस्थ जीवन सुनिश्चित कर सकते हैं। प्रदूषण नियंत्रण हर किसी की जिम्मेदारी है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी एक सुरक्षित वातावरण मिल सके। यह निबंध प्रदूषण के प्रकार, कारणों, नुकसान और नियंत्रण पर केंद्रित है, जो एक जिम्मेदार और जागरूक समाज बनाने में योगदान देगा।

(ख) राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान

(प्रस्तावना राष्ट्र निर्माण का अर्थ — योगदान - उपसंहार)

(ग) मोबाइल: लाभ और हानि

(प्रस्तावना राष्ट्र की माँग - राष्ट्र उत्थान में युवाओं का मोबाइल से लाभ या सुविधाएँ – हानियाँ – निष्कर्ष)

(घ) महँगाई: समस्या और समाधान

(प्रस्तावना — महँगाई का अर्थ – महँगाई एक समस्या - महँगाई के कारण - समाधान का उपाय निष्कर्ष)

4. अपने क्षेत्र में बच्चों के लिए एक पार्क विकसित करने के लिए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए। 5

अथवा

अपने शहर के चिकित्सालय के अस्वास्थ्यकर वातावरण के संबंध में जिला अधिकारी को सूचित करते हुए एक पत्र लिखिए।

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 1×5= 5

(i) संपादकीय किसे कहते हैं?

उत्तर:- संपादकीय वह लेख या टिप्पणी है जो समाचार पत्र के संपादक द्वारा किसी समसामयिक घटना, समस्या या मुद्दे पर अपने विचारों और अख़बार की आधिकारिक राय प्रकट करने के लिए लिखी जाती है।​

(ii) हिन्दी के किन्हीं दो प्रमुख समाचार पत्रों के नाम लिखिए।

उत्तर:- हिन्दी के दो प्रमुख समाचार पत्र हैं –

(i) दैनिक जागरण।​

(ii) दैनिक भास्कर।​

(iii) किसी एक दृश्य और श्रव्य जनसंचार माध्यम का नाम लिखिए।

(iv) संचार माध्यम किसे कहते हैं?

(v) रिपोर्ट की परिभाषा दीजिए।

6. पुस्तक मेला की उपयोगिता पर एक आलेख प्रस्तुत कीजिए। 5

अथवा

अपने आँखो देखी किसी एक पथदुर्घटना पर एक फ़ीचर लिखिए।

7. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 8

(क) हम दूरदर्शन पर बोलेंगे

हम समर्थ शक्तिवान

हम एक दुर्बल को लाएँगे

एक बंद कमरे में

उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?

तो आप क्यों अपाहिज हैं?

आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा

देता है?

प्रश्न:

(i) प्रस्तुत काव्यांश के कवि और कविता का नाम बताए। 2

उत्तर:- प्रस्तुत काव्यांश के कवि रघुवीर सहाय हैं। कविता का नाम "कैमरे में बंद अपाहिज" है।

(ii) "हम समर्थ शक्तिवान, हम एक दुर्बल को लाएँगे" - आशय स्पष्ट कीजिए। 2

उत्तर:- "हम समर्थ शक्तिवान, हम एक दुर्बल को लाएँगे" पंक्ति में कवि दूरदर्शन कार्यक्रम संचालकों पर व्यंग्य करते हैं। ये लोग स्वयं को शक्तिशाली मानते हैं और एक दुर्बल या अपाहिज व्यक्ति को स्टूडियो में लाकर उसकी पीड़ा को करुणा के बहाने TRP के लिए प्रदर्शित करते हैं। इससे मीडिया की संवेदनहीनता और व्यावसायिकता उजागर होती है।​

(iii) आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा, देता है?" - के माध्यम से कवि क्या समझाना चाहते हैं? 2

(iv) प्रस्तुत काव्यांश में किस पर व्यंग्य किया गया है? 2

अथवा

(ख) झूमने लगे फल,

रस अलौकिक,

अमृत धाराएँ फूटतीं।

रोपाई क्षण की,

कटाई अनंतता की

लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।

रस का अक्षय पात्र सदा का

छोटा मेरा खेत चौकोना।

प्रश्न:

(i) कवि ने किसे अलौकिक रस कहा है? 2

उत्तर:- कवि ने फलों से झरने वाले उस रस को अलौकिक रस कहा है जो किसान (अथवा कवि) की मेहनत और साधना से प्राप्त होकर अमृत के समान आनंद देता है।​

(ii) " रोपाई क्षण की कटाई अनंतता की " - आशय स्पष्ट कीजिए। 2

उत्तर:- “रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की का आशय यह है कि बीज बोने (या रचना आरम्भ करने) का काम तो एक क्षण में हो जाता है, पर उसका फल, उसका रस और आनंद बहुत लंबे समय तक, अनंत काल तक मिलता रहता है।​

(iii) कवि ने रस का अक्षय पात्र किसे कहा है और क्यों? 2

(iv) " लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती " - भाव स्पष्ट कीजिए। 2

8. निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 6

(क) प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे

भोर का नभ

राख से लीपा हुआ चौका

(अभी गीला पड़ा है)

बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से

कि जैसे धुल गई हो

स्लेट पर या लाल खड़िया चाक

मल दी हो किसी ने।

प्रश्न:

(i) प्रस्तुत काव्यांश के भाव सौन्दर्य पर टिप्पणी कीजिए। 2

उत्तर:- प्रस्तुत काव्यांश शमशेर बहादुर सिंह की कविता 'उषा' से लिया गया है, जिसमें भोर के आकाश का मनोहारी चित्रण किया गया है।​​

भाव-सौंदर्य की विशेषताएँ:

कवि ने भोर के नभ को "नीला शंख जैसे" तथा "राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है)" जैसे ग्रामीण-दैनिक उपमानों से अलंकृत कर पवित्रता, नमी और ताजगी का भाव उत्पन्न किया है। "बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से" या "स्लेट पर लाल खड़िया चाक" की उपमाएँ सूर्योदय की प्रथम लालिमा को जीवंत बनाती हैं, जो कालिमा पर उजाले की विजय दर्शाती हैं। ये बिंब प्रकृति के सूक्ष्म परिवर्तनों को साधारण वस्तुओं से जोड़कर भावों को गहन और आस्वाद्य बनाते हैं।​​

सौंदर्य का मूल्यांकन:

इस काव्यांश का भाव-सौंदर्य नवीन बिंबों और अनुभव-सद्भाव पर आधारित है, जो पाठक में भोर की जादुई शांति का अनुभव कराता है। ग्रामीण जीवन के तत्वों का प्रयोग आधुनिक संवेदना को परंपरागत सौंदर्य से जोड़ता है। कुल मिलाकर, यह सौंदर्य पल-प्रतिपल परिवर्तनशील उषा की कोमलता को उभारता है।​​

(ii) काव्यांश के शिल्पगत सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए। 2

(iii) प्रस्तुत कविता के कवि और कविता का नामोल्लेख कीजिए । 2

अथवा

(ख) कविता एक खिलना है फूलों के बहाने

कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!

बाहर भीतर

इस घर, उस घर

बिना मुरझाए महकने के माने

फूल क्या जाने?

प्रश्न:

(i) प्रस्तुत काव्यांश के शिल्पगत सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए। 2

उत्तर:- दिए गए काव्य अंश में, इसकी कलात्मक सुंदरता का मुख्य आधार अलंकार, भाषा शैली और छंद संरचना के सुंदर मिश्रण में निहित है।

अलंकारों का प्रयोग:

यह अंश मुख्य रूप से रूपक का प्रयोग करता है, जहाँ कविता की तुलना फूलों के खिलने से की गई है"कविता एक खिलना है, फूलों के वेश में"—जो कविता की सुंदर अभिव्यक्ति को जीवंत कर देता है। "फूल क्या जानते हैं" की पुनरावृति में अनुप्रास एक संगीतमय प्रभाव पैदा करता है, और प्रश्नवाचक शैली पाठक के मन में गहन चिंतन उत्पन्न करती है।

भाषा और छंद की सुंदरता:

भाषा सरल, संक्षिप्त और काव्यात्मक है, जो भावनाओं की आसान अभिव्यक्ति में मदद करती है; "बाहर, अंदर/यह घर, वह घर" जैसी छोटी पंक्तियाँ लय प्रदान करती हैं। यह मुक्त छंद शैली कविता की स्वतंत्रता को दर्शाती है, जो बिना किसी बाधा के सुगंध फैलने का प्रतीक है।

(ii) "बिना मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने?" - भाव स्पष्ट कीजिए। 2

(iii) "कविता एक खिलना है फूलों के बहाने " - कवि का अभिप्राय बताइए। 2

9. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 3×2=6

(क) “धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ।

काहू की बेटीसों बेटा न व्याहब, काहू की जाति बिगार न सोऊ॥ "

- प्रस्तुत काव्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- यहाँ, कवि तुलसीदास कह रहे हैं कि समाज द्वारा दी गई किसी भी तरह की आलोचना या उपाधि को वे पूरी तरह से बेकार मानते हैं।

मतलब:

कवि कहते हैं – चाहे लोग मुझे बदमाश कहें, साधु (अवधूत) कहें, राजपूत कहें, या जुलाहा (नीची जाति का व्यक्ति) कहें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

उन्हें न तो अपने बेटे की शादी किसी की बेटी से करनी है, और न ही उनका कोई ऐसा सामाजिक लेन-देन है जिसमें किसी की जाति से समझौता करना पड़े; उनका एकमात्र संबंध और भक्ति भगवान राम से है, इसलिए उन्हें समाज की जाति-आधारित इज्जत या बेइज्जती की कोई परवाह नहीं है।

(ख) " बच्चे प्रत्याशा में होंगे,

नीड़ों से झाँक रहे होंगे "

- आशय स्पष्ट कीजिए।

(ग) “तुम्हें भूल जाने की

दक्षिण ध्रुवी अंधकार - अमावस्या"

- कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा है?

(घ) " आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी

हाथों पे झुलाती है उसे गोद भरी "

- प्रस्तुत पद्यांश से प्रस्फुटित वात्सल्य रस पर टिप्पणी कीजिए

10. निम्नलिखित में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 8

(क) उनकी फिल्में भावनाओं पर टिकी हुई हैं, बुद्धि पर नहीं । 'मेट्रोपोलिस', 'दी कैबिनेट ऑफ़ डॉक्टर कैलिगारी', 'द रोवंथ सील', 'लास्ट इयर इन मारिएनबाड', 'द सैक्रिफाइस' जैसी फ़िल्में दर्शक से एक उच्चतर अहंसास की माँग करती हैं। चैप्लिन का चमत्कार यही है कि उनकी फ़िल्मों को पागलखाने की मरीजों, विकल मस्तिष्क लोगों से लेकर आइन्स्टाइन जैसे महान प्रतिभा वाले व्यक्ति तक कहीं एक स्वर पर और कहीं सूक्ष्मतम रसास्वादन के साथ देख सकते हैं। चैप्लिन ने न सिर्फ फ़िल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को तोड़ा। यह अकारण नहीं है कि जो भी व्यक्ति, समूह या तंत्र गैर बराबरी नहीं मिटाना चाहता वह अन्य संस्थाओं के अलावा चैप्लिन की फ़िल्मों पर भी हमला करता है। चैप्लिन भीड़ का वह बच्चा है जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है जितना मैं हूँ और भीड़ हँस देती है। कोई भी शासक या तंत्र जनता का अपने / ऊपर हँसना पसंद नहीं करता।

प्रश्न:

(i) " चार्ली चैप्लिन की फ़िल्में बुद्धि पर नहीं भावनाओं पर टिकी हैं" - आशय स्पष्ट कीजिए। 2

उत्तर:- चार्ली चैपलिन की फ़िल्में भावनाओं पर आधारित होती हैं, बुद्धि पर नहींयानी उन्हें समझने के लिए किसी मुश्किल बौद्धिक विश्लेषण या तर्क की ज़रूरत नहीं होती, बल्कि वे सीधे इंसानी भावनाओं जैसे हास्य, दया, दुख और खुशी को छूती हैं। ये फ़िल्में सभी तरह के दर्शकों को पसंद आती हैंपागलखाने के मरीज़ों से लेकर आइंस्टीन जैसे विद्वानों तकक्योंकि वे भावनात्मक अनुभवों से जुड़ी होती हैं। पैसेज में दूसरी मुश्किल फ़िल्मों (जैसे 'मेट्रोपोलिस') का ज़िक्र इसलिए किया गया है ताकि यह दिखाया जा सके कि उन्हें समझने के लिए ज़्यादा बौद्धिक समझ की ज़रूरत होती है, जो चैपलिन की ज़्यादा आसानी से समझ में आने वाली फ़िल्मों से अलग है।

(ii) चार्ली चैप्लिन की फ़िल्मों के दर्शक कौन थे? 2

(iii) चार्ली ने दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को कैसे तोड़ा? 2

(iv) चार्ली चैप्लिन की फ़िल्में शासकों को क्यों नापसंद हैं? 2

अथवा

(ख) उसने कीनू कालीन पर उलट दिए। टोकरी खाली की और नमक की पुड़िया उठाकर टोकरी की तह में रख दी। एक बार झाँककर उसने पुड़िया को देखा और उसे ऐसा महसूस हुआ मानो उसने अपनी किसी प्यारे को कब्र की गहराई में उतार दिया हो! कुछ देर उकहूँ बैठी वह पुड़िया को ताकती रही और उन कहानियों को याद करती रही जिन्हें वह अपने बचपन में अम्मा से सुना करती थी, जिनमें शहजादा अपनी रान चीरकर हीरा छिपा लेता था और देवों, खौफ़नाक भूतों तथा राक्षसों के सामने से होता हुआ सरहदों से गुज़र जाता था। इस ज़माने में ऐसी कोई तरकीब नहीं हो सकती थी वरना वह अपना दिल चीरकर उसमें यह नमक छिपा लेती। उसने एक आह भरी।

प्रश्न:

(i) सफ़िया ने नमक को कीनू की टोकरी की तह में रखने का फ़ैसला क्यों किया? 2

उत्तर:- सफिया ने नमक का पैकेट संतरे की टोकरी के नीचे छिपा दिया, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद, एक देश से दूसरे देश में नमक ले जाना गैर-कानूनी था, और कस्टम अधिकारी इसे गैर-कानूनी सामान समझकर ज़ब्त कर सकते थे। फलों की टोकरियों की आमतौर पर जांच नहीं होती थी, इसलिए उसने कीमती तोहफे को सुरक्षित रखने के लिए उसे वहीं छिपाने का फैसला किया।

पैसेज का संदर्भ:

यह पैसेज "नमक" (सआदत हसन मंटो) से लिया गया है, जिसमें सफिया पाकिस्तान से भारत जाते समय अपने भाई से मिले नमक को छिपा रही है।

भावनात्मक पहलू:

नमक उसके लिए उसकी माँ का एक प्रतीकात्मक रूप था, इसलिए इसे छिपाने से वह बहुत दुखी हो गई, जैसे वह किसी अपने प्यारे को दफना रही हो।

(ii) सफ़िया को कीनुओं के नीचे दबा हुआ नमक कैसा महसूस हुआ? 2

(iii) सफ़िया को बचपन में सुनी शहज़ादों की कहानियाँ क्यों याद आने लगीं? 2

(iv) सफ़िया ने शहजादे के करनामों को याद करके आह क्यों भरी? 2

11. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 3×4=12

(क) शिरीष को देख लेखक को आजकल के नेताओं की याद क्यों आती है?

उत्तर:- लेखक, हजारी प्रसाद द्विवेदी, जब शिरीष का फूल देखते हैं तो उन्हें आज के नेताओं की याद आती है, क्योंकि शिरीष का फूल चिलचिलाती गर्मी, गर्म हवाओं और तूफानों में भी बिना किसी रुकावट के खिलता है, ठीक वैसे ही जैसे आज के नेता मुश्किल हालात में भी अपनी कुर्सी से चिपके रहते हैं और टस से मस नहीं होते। पुराने समय के तपस्वी जैसे नेताओं (जैसे गांधीजी) की तुलना में, आज के नेता, शिरीष के फूल की तरह, अपनी कुर्सी पर तब तक जमे रहते हैं जब तक नई पीढ़ी उन्हें ज़बरदस्ती हटा नहीं देती। यह तुलना शिरीष के फूल की सहनशक्ति और अंदरूनी ताकत को दिखाती है, जो लेखक को मौजूदा नेताओं की ज़िद की याद दिलाती है।

शिरीष के फूल का प्रतीक:

शिरीष का फूल एक तपस्वी का प्रतीक है, जो मुश्किल हालात में भी कोमलता और अंदरूनी ताकत बनाए रखता है। जब लेखक इसे देखते हैं तो उन्हें पुरानी पीढ़ी के त्याग करने वाले नेताओं की याद आती है, लेकिन वे इसकी मज़बूती को आज के नेताओं के कुर्सी से चिपके रहने वाले स्वभाव से जोड़ते हैं।

संदर्भ:

"शिरीष के फूल" निबंध में, लेखक इंसानी मूल्यों की तुलना प्रकृति से करते हैं, जहाँ शिरीष का फूल आज के समाज की आलोचना का माध्यम बनता है। यह AHSEC क्लास 12 MIL हिंदी सिलेबस का हिस्सा है।

(ख) बाज़ार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या- क्या असर पड़ता है?

(ग) इंदर सेना के संबंध में लेखक का क्या दृष्टिकोण है?

(घ) "हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी जरूरी हो जाती है " - " शिरीष के फूल' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

(ङ) "मन खाली नहीं रहना चाहिए, इसका मतलब यह नहीं है कि वह मन बंद रहना चाहिए " - लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

 

पूरक पुस्तक (वितान भाग - 2)

 

12. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 2×2=4

(क) अपने परिवार के साथ यशोधर बाबू के संबंध कैसे थे?

उत्तर:- यशोधर बाबू के अपने परिवार के साथ रिश्ते तनावपूर्ण और मनमुटाव से भरे थे। वह अपने परिवार वालों की बेरुखी और उनकी भावनाओं की अनदेखी से परेशान थे। यशोधर बाबू का परिवार मॉडर्न विचारों को अपनाता था, जबकि वह खुद पारंपरिक मूल्यों वाले इंसान थे, जिससे उनके और उनके बच्चों के बीच दूरी आ गई थी। इस वजह से उन्हें अपने ही घर में अकेलापन और असुरक्षा महसूस होती थी। वह अपने बच्चों और पत्नी के मॉडर्न तरीकों से सहमत नहीं थे, जिसका नतीजा यह हुआ कि उनका पारिवारिक जीवन दुखी था और कभी-कभी उन्हें घर लौटने का मन नहीं करता था।

(ख) यशोधर बाबू किससे प्रभावित थे?

(ग) “सिंधु सभ्यता साधन-सम्पन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था।" स्पष्ट कीजिए ।

13. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 3×2=6

(क) “नगर नियोजन की मुअनजो-दड़ो अनूठी मिसाल है। " - ' अतीत में दबे पाँव' के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- मोहनजो-दारो सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख शहर था, जहाँ, "फुटप्रिंट्स ऑफ़ द पास्ट" किताब के अनुसार, शहरी प्लानिंग बहुत व्यवस्थित और आधुनिक थी।

शहरी प्लानिंग की विशेषताएं:

किताब में बताया गया है कि मोहनजो-दारो की सड़कें चौड़ी और सीधी थीं, जो समकोण पर एक-दूसरे को काटती थीं, इस लेआउट को अब "ग्रिड प्लान" के नाम से जाना जाता है। ड्रेनेज सिस्टम एडवांस्ड था, जिसमें ढकी हुई नालियां घरों को मुख्य सड़कों से जोड़ती थीं। घरों के दरवाज़े मुख्य सड़कों पर नहीं खुलते थे, बल्कि साइड की गलियों की तरफ़ खुलते थे, जिससे सफ़ाई बनाए रखने में मदद मिलती थी।

इसकी अनोखी होने की वजह:

ये खंडहर आज भी शहर की सड़कों और गलियों का लेआउट साफ़ दिखाते हैं, जो कई आधुनिक शहरों की तुलना में ज़्यादा व्यवस्थित तरीके से प्लान किए गए थे। इस अनोखी प्लानिंग को ऊंचे प्लेटफ़ॉर्म से देखने पर आसानी से समझा जा सकता है। इसलिए, इसे शहरी प्लानिंग का एक अनोखा उदाहरण माना जाता है।

(ख) “अजायबघर में प्रदर्शित चीजों में औज़ार तो हैं, पर हथियार कोई नहीं है। " - आशय स्पष्ट कीजिए ।

(ग) “यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ आगे बढ़ने में सफल हो गयी थी, लेकिन यशोधर बाबू असफल रह गये। " - ऐसा क्यों?

14. "सिंधु घाटी सभ्यता मूलतः खेतिहर सभ्यता थी। " - स्पष्ट कीजिए। 5

अथवा

'सिल्वर वैडिंग' पाठ के आधार पर यशोधर बाबू की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

 

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